Book review on" The Merchant of Venice" by G.Pradhan

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8 comments:

Anonymous said...

१.पुस्तक का नाम ... मृत्युंजय
२.लेखक के नाम......शिवाजी सावंत
३.प्रकाशक का नाम ... भारतीय ज्ञानपीठ
४.पृष्ठ संख्या..........700
५.सारांश..... मराठी के प्रतिष्ठित उपन्यासकार शिवाजी सावंत का ‘मृत्युंजय’ इसी कर्ण को केन्द्र में रखकर लिखा गया चरित्र-प्रधान उपन्यास है। शिवाजी सावंत का यह उपन्यास उनका पहला उपन्यास था जिसे उन्होंने 27 वर्ष की अवस्था में ही लिखा था। मराठी में इसका प्रकाशन 1967 ई० में हुआ था। इसका हिन्दी अनुवाद सबसे पहले 1974 में प्रकाशित हुआ और इसके हिन्दी अनुवाद के ही 43 संस्करण छप चुके हैं। इसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं और कई देशी-विदेशी भाषा में इसका अनुवाद हो चुका है। इसके अलावा उनके दो उपन्यास ‘छावा’ और ‘युगंधर’ हैं जो क्रमशः शिवाजी और कृष्ण के चरित्रों को केन्द्र में रखकर लिखे गए हैं। मृत्युंजय का अनुवाद हिन्दी के अलावा कई देशी-विदेशी भाषाओं में हो चुका है।
इस उपन्यास की भूमिका में शिवाजी सावंत ने बताया है कि कर्ण के चरित्र से वे बचपन से ही, जब वे आठवीं या नवीं के छात्र थे, एक मराठी नाटिका ‘अंगराज कर्ण’ में अभिनय करते वक्त परिचित हुए थे। उसके बाद बी० ए० प्रथम वर्ष में राष्ट्रभाषा हिन्दी के पर्चे में हिन्दी के कवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’ के खंडकाव्य ‘कर्ण’ से वे काफी प्रभावित हुए और मराठी में वैसा खंडकाव्य लिखने की इच्छा जगी। उसकी तैयारी के दौरान कर्ण के चरित्र की महाकाव्यात्मक संभावनाएँ देखते हुए उन्होंने समझा कि इस पर तो उपन्यास लिखा जाना चाहिए और वे उपन्यास के लिए महाभारत के विस्तृत अध्ययन की ओर प्रवृत्त हुए। महाभारत के अध्ययन के बाद उन्होंने कर्ण के जीवन से संबंधित हिन्दी, अंग्रेज़ी और मराठी के नाटक, काव्य, उपन्यास, शोध तथा भाष्यों का अध्ययन किया जिसमें मराठी के नाटककार श्री शि० म० परांजपे के नाटक ‘पहला पाण्डव’ का उन्होंने विशेष रूप से जिक्र किया है। उसके बाद उन्होंने महाभारत से संबंधित स्थलों की यात्रा की।
इस उपन्यास की रचना-शैली में उन्होंने पात्रों की वक्तव्य-शैली का सहारा लिया है। उपन्यास या कहानी की रचना-शैली का यह महत्वपूर्ण बिन्दु होता है कि कथा किसके दृष्टिकोण से कही जा रही है। इस दृष्टिकोण को “वैन्टेज़-प्वाइंट” कहते हैं। अधिकतर उपन्यासों में उपन्यासकार अदृश्य रूप से कथा सुनाता है एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो सर्वज्ञाता और अन्तर्यामी है अर्थात् वह सभी पात्रों के मन में उठनेवाले विचारों को भी जानता है।
६.शिक्षा .....कई बार सत्य परेशान भी होता है और पराजित भी..
७.व्यक्तिगत टिप्पणी ...मृत्युंजय में लेखक ने महाभारत के इसी इतिहास को अंगराज कर्ण के दृष्टिकोण से सुनाया है। कुछ घटनाओं पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से दुर्योधन, कुंती, वैशाली व भगवान् श्री कृष्ण के व्यक्तित्वों पर भी बल दिया गया है। उपन्यास के आरंभ में कर्ण अपनी मृत्यु के पश्चात् पाठकों को संबोधित करते देखे जाते हैं।
समीक्षा किया गया....श्री गणेश कुमार शुक्ल ( सामाजिक विज्ञान)

VISHAL SINHA said...

Name of the Book - The Yoga Book
Auther - Mukesh Verma , Sanjay Giri
Publisher - Nisha Scientific
Page - page - 144 - 150
Summary - Yoga practices for digestive Disorder.
Moral - Ashtanga yoga refers to the eight limbs of yoga.
Comments- This is a book that will help you learn more about the sprituak dimensions of yoga as well as its practical instructions.
Book review submitted by Mr. Vishal Sinha

SUSANTA LAHA said...

Name of the book: The Great Derangement

Name of the Author: Amitav Ghosh

Name of the Publisher: Penguin Books

No of Pages: 284

Theme: Climate change, Politics, Social Unrest, Past present & future.

Moral: It appeals to us to be more responsible towards the environment ignoring the political and social prejudice and unrest.

Own Comment:
In The Great Derangement: Climate Change and the Unthinkable, acclaimed novelist Amitav Ghosh offers a new non-fiction work that aims to confront this urgent issue by reflecting on our ‘deranged’ modes of political and socio-economic organisation via three themes: literature, history and politics. This is an admirable book that both examines and manifests the limits of human thought when it comes to the spectre of environmental catastrophe.

Mayuri Pandey said...

Name of the Book - You can win
Auther - shive khera
Publisher - BLOOMS BURY PUBLISHING INDIA
Page - 1-5
Theme - Positive attitude
Summary - You Can Win book motivates people, takes things from your daily life, and turns them into positive thrust. This book is for those who pursue a balanced personality and who want to move towards success with positivity. This is easy to read a self-help book.
Chapter 1: Building a positive attitude
In this chapter author shares a story of a man who sells different colored balloons at a fair; whenever his business used to go down, to tackle that situation, he used to fly one balloon in the air so that when children see that balloon in the air, they feel like buying it. With this technique, his sales again used to go up. One day, a boy came near him when he was selling his balloon. He asked, “IF YOU RELEASE A BLACK BALLOON, WOULD THAT ALSO FLY.” That boy’s concern moved that balloon seller, and for this, that man replied With empathy, ”SON, IT IS NOT THE COLOR OF THE BALLOON; IT IS WHAT IS INSIDE THAT MAKES IT GO UP.”
With this story author want us to know that this man saying applies to our lives as well. It is what is inside that counts. The author says that the thing inside us that makes us go up is our attitude.
Moral - The author says that one day when he asked two executives if they had a magic wand, what would they ask from that wand? Will they ask for profit or a huge success, or for what? After listening to the answer from those executives, he was very impressed. The answer was that people should have a better attitude. They will ask for a better attitude because it can make a person excellent and successful.

Own comments - The author says that people’s attitude contributes to success. As per a study done by Harvard University, they say 85 percent of people get a job because of their attitude, and only 15 percent of people get a job because they are clever or intelligent.

Commented by Mrs. Mayuri panbey

Amit Yerpude said...

१.पुस्तक का नाम ... दीवारों के साये में
२.लेखक के नाम......अमृता प्रीतम
३.प्रकाशक का नाम ... राजपाल एंड सन
४.पृष्ठ संख्या..........96
५.सारांश......... ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अमृता प्रीतम की नारी की वेदना को दर्शाती ये किताब अनेक छोटे छोटे गद्यो का संग्रह है|इसमे वास्तविक नाती चरित्रों पर लिखी अनेक कहानियाँ है जिनमे लेखिका ने समाज की और मन की दीवारों से आरंभ करके कारागार की दीवारों तक इन सभी मे बंद स्त्री-पुरुषों का मार्मिक चित्रण किया है|
6. व्यक्तिगत टिप्पणी: 'तिरिया जनम झन देव' यह इस कृति का मर्म बिन्दु है जिस मे संसार मे नारी की स्थिति , पीड़ा, विडम्बना और विसंगतियों को मुखर करती है|

Rajesh Pradhan said...


1.NAME OF THE BOOK- Digital India

2NAME OF THE AUTHOR-Manish Jain

3. NAME OF THE PUBLISHER- Ishan Publication

4.THEME/SUMMARY

Digital India is an ambitious programme of Government of India.This will be for preparing the India for the knowledge based transformation and delivering good governance.It is a great programme to transform India into digital empowered society and knowledge economy.
A digitally connected India is aimed at the growth of the social and economic status of the masses in the count
7.MORAL- Digital India will help in moving with the universal trends of digital innovation and create a positive impact in the lives of people - rural and urban, young and old.We should join our hands in such great initiative.

8.OWN COMMENT-
The awareness of the importance of technology has been successfully created among the masses of India by the Digital India campaign.This book explores the nature and challenges of digital India via an analysis of theory and practice.
Book Review Submitted by - Rajesh Pradhan

स्वराज कुमार पण्डा said...

१.पुस्तक का नाम ... स्वतन्त्रता के पुजारी महाराणा प्रताप
२.लेखक के नाम......देवीसिंह मंडावा
३.प्रकाशक का नाम ... राजस्थानी ग्रन्थागार
४.पृष्ठ संख्या..........238
५.नैतिक:....... इदं राष्ट्राय इदं न मम
६.सारांश..... भारतीय इतिहास के परिप्रेक्ष्य में महाराणा प्रताप का अमीट योगदान
भारतीय इतिहास में राजपुताने का गौरवपूर्ण स्थान रहा है। यहां के रणबांकुरों ने देश, जाति, धर्म तथा स्वाधीनता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने में कभी संकोच नहीं किया। उनके इस त्याग पर संपूर्ण भारत को गर्व रहा है। वीरों की इस भूमि में राजपूतों के छोटे-बड़े अनेक राज्य रहे जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया। इन्हीं राज्यों में मेवाड़ का अपना एक विशिष्ट स्थान है जिसमें इतिहास के गौरव बप्पा रावल, खुमाण प्रथम महाराणा हम्मीर, महाराणा कुम्भा, महाराणा सांगा, उदयसिंह और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने जन्म लिया है।
सवाल यह उठता है कि महानता की परिभाषा क्या है। अकबर हजारों लोगों की हत्या करके महान कहलाता है और महाराणा प्रताप हजारों लोगों की जान बचाकर भी महान नहीं कहलाते हैं। दरअसल, हमारे देश का इतिहास अंग्रेजों और कम्युनिस्टों ने लिखा है। उन्होंने उन-उन लोगों को महान बनाया जिन्होंने भारत पर अत्याचार किया या जिन्होंने भारत पर आक्रमण करके उसे लूटा, भारत का धर्मांतरण किया और उसका मान-मर्दन कर भारतीय गौरव को नष्ट किया।
लेकिन महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। एक ऐसा राजपूत सम्राट जिसने जंगलों में रहना पसंद किया लेकिन कभी विदेशी मुगलों की दासता स्वीकार नहीं की। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया |
समीक्षा किया गया.... स्वराज कुमार पण्डा( संस्कृतम्)

RABI said...
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